navratri special 2025: जानें,नवरात्रि के छठे दिन की पूजा का महत्व
छठे दिन माँ कात्यायनी की पूजा क्यों खास है नवरात्रि की षष्ठी पूजा ?

नवरात्रि के छठे दिन माँ कात्यायनी की पूजा की जाती है। देवी दुर्गा का यह स्वरूप शक्ति, पराक्रम और विजय का प्रतीक है। माँ कात्यायनी को युद्ध और उग्रता की देवी माना जाता है, जो भक्तों को भय, रोग और शत्रुओं से मुक्त कर उनका कल्याण करती हैं।
प्राचीन कथा के अनुसार माँ कात्यायनी को प्रेम और भक्ति की देवी भी माना जाता है। उनका संबंध श्रीकृष्ण और वृंदावन की गोपियों से भी है। यह कथा प्रेम, समर्पण और ईश्वर प्राप्ति के मार्ग को दर्शाती है। वृंदावन की गोपियाँ श्रीकृष्ण को अपना पति बनाना चाहती थीं। उन्होंने अपनी इस इच्छा की पूर्ति के लिए माँ कात्यायनी की पूजा करने का निश्चय किया और आराधना करने लगीं। गोपियाँ प्रतिदिन प्रातःकाल यमुना में स्नान करके माँ कात्यायनी की मूर्ति स्थापित कर उनकी पूजा करती थीं। वे इस मंत्र का जाप करती थीं— “कात्यायनि महामाये महायोगिन्यधीश्वरि। नन्दगोपसुतं देवि पतिं मे कुरु ते नमः॥”
इसका अर्थ है: “हे माँ कात्यायनी, हे महायोगिनी! कृपया नंदगोप के पुत्र श्रीकृष्ण को हमें पति रूप में पाने का आशीर्वाद दें।”
गोपियों की भक्ति और तपस्या से प्रसन्न होकर माँ कात्यायनी ने उनकी इच्छा पूर्ण करने का आशीर्वाद दिया। इसके बाद, श्रीकृष्ण ने गोपियों के साथ रासलीला रचाई और उनकी भक्ति को स्वीकार किया। माँ कात्यायनी की पूजा करने से मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त किया जा सकता है। आज भी कुंवारी कन्याएँ माँ कात्यायनी की पूजा करती हैं ताकि उन्हें अच्छा वर मिले।
माँ कात्यायनी का संबंध बृहस्पति ग्रह से भी माना जाता है, इसलिए इनकी पूजा करने से बृहस्पति दोष दूर होता है। जिन लोगों की कुंडली में विवाह में देरी का योग है, उन्हें इस दिन विशेष पूजा करनी चाहिए। आध्यात्मिक साधना और शक्ति प्राप्ति के लिए छठे दिन की पूजा बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है।
नवरात्रि के छठवें दिन की पूजा विधि
प्रात:काल स्नान कर माँ कात्यायनी का ध्यान करें और पूजा का संकल्प लें। लाल या पीले वस्त्र पर माँ की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। धूप—दीप नैवेद्य अर्पित करें। माँ को लाल फूल, शहद, गुड़, घी और फल अर्पित करें। फिर इन मंत्रों का जप करें —“ॐ देवी कात्यायन्यै नमः” या “कात्यायनि महामाये महायोगिन्यधीश्वरी। नंदगोपसुतं देवी पतिं मे कुरु ते नमः॥” (विवाह बाधा निवारण मंत्र) तत्पश्चात् माँ की आरती करें और दीप जलाकर हवन करें।