धर्म/अध्यात्म

नाग पंचमी : आखिर क्यों साल में एक बार ही खुलता है यह प्रचीन नागचंद्रेश्वर मंदिर ?

उज्जैन में विश्व का पहला ऐसा मंदिर जहां सर्प शय्या पर विराजमान हैं शिव...

भोपाल। उज्जैन, महाकाल की नगरी, जो भस्म आरती के लिए तो प्रसिद्ध है ही, साथ ही, इसे मध्य प्रदेश के मंदिरों का शहर भी कहा जाता है। यहां कई मंदिर हैं। और, हर मंदिर अपने आप में खास है। इन्हीं मंदिरों में से एक है प्रचीन रहस्यमयी नागचंद्रेश्वर मंदिर, यह एक नाग मंदिर है। जो कि महाकाल मंदिर की तीसरी मंजिल पर बना हुआ है। यह मंदिर कई रहस्यों से घिरा हुआ है। लेकिन, इस मंदिर का साल में एक बार नाग पंचमी के दिन खुलना इसे और भी खास बनाता है।

जी हां, यह मंदिर साल भर बंद रहता है। पर नागपंचमी के अवसर पर खुलता है। मंदिर की मूर्ति भी इस मंदिर को खास बनाती है। यह विश्व का एक मात्र ऐसा मंदिर है जहां शिव सर्प शय्या पर है। क्योंकि सर्प शय्या पर हमेशा हरि विष्णु ही विराजमान रहते है। शिव के साथ मां पार्वती भी विराजमान है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि, नागों के राजा तक्षक ने शिव को मनाने के लिए शिव की तपस्या की उनकी तपस्या से खुश होकर शिव ने उन्हें अमर होने का वरदान दे दिया।

जिसके बाद तक्षक राजा शिव के सान्निध्य में ही रहने लगे। लेकिन महाकाल वन में रहने से पहले उनकी इच्छा थी। उनके एकांत में कोई विघ्न न हो। इसलिए सिर्फ नाग पंचमी के दिन ही यह मंदिर खोला जाता है। जिसके दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ लगी रहती है।

कहा जाता है कि नाग पंचमी के दिन यहाँ एक अद्भुत ही नजारा देखने को मिलता है। मान्यता है कि यहां आए हर भक्त की मनोकामना पूर्ण होती है। इस मंदिर का निर्माण 1050 ईस्वी में के आस-पास हुआ था। इसे परमार राजा भोज ने बनवाया था। साथ ही, इस मंदिर का जीर्णाद्धार सिंधिया घराने के महाराज राणोजी सिंधिया ने 1732 में करवाया था। तो इस बार 2025 में पूरे एक साल बाद 29 जुलाई को नाग पंचमी के अवसर पर यह मंदिर खोला जाएगा।

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