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Manjummel Boys: कोडईकनाल की डेविल किचन से आज तक सुभाष को छोड़ कोई नही लौटा जिंदा

Manjummel Boys : इस दुनिया में कई ऐसी जगह हैं जिनके बारे में सुनकर हमारे रोमटें खड़े हो जाते है।ऐसी ही एक जगह तमिलनाडु के कोडईकनाल में है। जिसे डेविल किचन यानी शैतान की रसोई कहा जाता था। लेकिन 1991 में यहाँ कमल हासन की फिल्म गुना की शूटिंग हुई उसके बाद से इस जगह का नाम गुना केव (गुना गुफा) रखा गया। इस फिल्म की शूटिंग के बाद यह स्थान इतना फेमस हो गया कि बड़ी संख्या यहां पर्यटक आने लगे। लेकिन जहां पर यह डेविल किचन यानी गुना गुफा थी। वहाँ जाने के लिए सरकार की तरफ से साफ माना था। लेकिन एडवेंचर के शौकीन जो लोग फोरेस्ट गार्ड की नजरों से छिपकर यहां गए और गलती से भी गुफां के गड्डे में पैर पड़ा तो वो वापस नहीं आए। वहां के लोगों का कहना है कि वो डेविल का खाना बन गए। उनकी उनकी डेड बॉडी का भी नामों-निशान नहीं मिला। केवल सुभाष के,

जी हां, वैसे तो यहां 1991 में तमिल भाषी गुना फिल्म के बाद 2010 में शिकार, क्लाइमेक्स जैसी कई फिल्मों की शूटिंग हुई।वहीं यहां 2024 में आई मंजुम्मेल बॉयज़ मलयालम फिल्म एक सच्ची घटना पर आधारित थी। यह घटना 2004 इस गुफा में सच मंजुम्मेल बॉयज़ के साथ घटी थी।Manjummel Boys

क्या हुआ था मंजुम्मेल बॉयज़ के साथ
मंजुम्मेल बॉयज़, केरला के एक ग्रुप का नाम था। जो ग्रुप रस्सी खिचने वाला गेम खेलते था। जिसे रस्साकशी” या “टग ऑफ वॉर” भी कहा जाता है। फिल्म में दिखाया गया है कि मंजु्म्मेल बॉयज़ कहीं घूमने का प्लान बनाते हैं। पहले वो गोवा जाने का सोचते हैं। लेकिन कम बजट होने के कारण वो तमिलनाडु के कोडईकनाल जाने का प्लान बनाते हैं। जैसे ही वो कोडईकनाल घूमकर घर वापस जाने के बारे में सोचते हैं तभी कार में कमल हासन की फिल्म गुना केव का गाना बजता है। और उन्हें याद आता है की हम यहां की फेमस जगह गुना केव तो गए ही नहीं।फिर क्या था। वो घर जाने की जगह अपनी कार को गुना केव जिसे पहले डेवल किचन कहा जाता था। घूमने निकल पड़े।
और वो लोग वहाँ भी छिपकर चले जाते है जहां जाना साफ माना था। और उनमें से उनका एक दोस्त जिसका नाम सुभाष होता था। वो उसी गुफा के गड्डे में गिर जाता है। वो लोग उसे आवाज लगाते हैं लेकिन उनकी आवाज उस तक नहीं पहुंची। क्योंकि वो गड्ड 1 किलोमीटर गहरा होता है। वो डरकर आस-पास के लोगों को मदद के लिए बुलाते हैं। जो भी उनकी यह बात सुनता है। वह यही कहता है कि एक बार जो भी उस गड्डे में गिर जाता है।वो कभी वापस नहीं आता।क्योंकि वो मामूली गड्डा नहीं है।वह शैतान की रसोई है।शैतान उसे खा जाता है। वह बहुत ही खतरनाक जगह हैं। अब तुम्हारा दोस्त भी वापस नहीं आएगा। क्योंकि उस गड्डे में अभी तक 16 लोग गिरे कोई भी वापस नहीं आया।

तभी बारिश होने लगती है। और उन्हें सुभाष की आवाज आती है।आवाज आते ही उनके अंदर सुभाष को बचाने की एक नई आस जाग जाती है। सुभाष के दोस्त बहुत आग्रह करते है कि हमारी मदद करो तो वहां के कुछ लोग और पुलिस मिलकर उनकी मदद करने तैयार होती है। लेकिन गड्डे के अंदर जाने को कोई भी तैयार नहीं होता। तभी सुभाष का एक दोस्त गड्डे में नीचे जाने को बोलता है। और बड़ी मेहनत के बाद आखिर वो सुभाष को बचा लेते हैं। यह उस गुफा का एक पहला ऐसा केस है जहां डेविल किचन में से सुभाष बचकर वापस आया था।यह घटना 2004 में हुई थी। जिसके बाद उस गुफा को पूरी तरह सील कर दिया गया । लेकिन उन 16 लोगों के बारे में आज तक किसी को पता नहीं चला की वो कहा गए।Manjummel Boys

शरीर की एक हड्डी लाने के लिए करोड़ो का इनाम
कहा जाता है एक बार किसी बड़े पैसे वाले का बेटा इस गुफा में गिर गया था। बेटे के पिता ने बेटे के अंतिम संस्कार के लिए एक घोषणा की। अगर कोई भी व्यक्ति इस गड्डे में जाकर उसके बेटे के शरीर की एक हड्डी भी लाकर दे सके तो उसको करोड़ो रुपये मिलेंगे। लेकिन कोई भी व्यक्ति इस गुफा में जाने तैयार नहीं हुआ था।Manjummel Boys
गुफा का नाम डेविल किचन किसने रखा
आपको बता दें, गुफा को कथित तौर पर पहली बार 1821 में ब्रिटिश अधिकारी बीएस वार्ड ने इस गड्डे को डेविल किचन नाम दिया था।Manjummel Boys



			
		

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