International Yoga Day 2025 : स्वस्थ तन, संतुलित मन – योग का अमृत संदेश
मानव जीवन की सफलता केवल भौतिक उपलब्धियों में नहीं, बल्कि तन की ऊर्जा और मन की स्थिरता में निहित है। भारत की प्राचीन धरोहर योग इसी संतुलन का अमृत सूत्र है – जो शरीर, मन और आत्मा को एक लय में बांधता है।

भोपाल।योग सिर्फ आसन नहीं, जीवन का अनुशासन
आज जब पूरी दुनिया 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मना रही है, तब यह समझना आवश्यक है कि योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं है, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुशासन है। यह अनुशासन हमें सांस की गति से लेकर विचारों की दिशा तक को नियंत्रित करना सिखाता है।
योग का मूल उद्देश्य है – ‘चित्त वृत्तियों का निरोध’। यानी मन की चंचलता को शांति में बदलना। पतंजलि के योगसूत्र हों या भगवद्गीता में श्रीकृष्ण के उपदेश – हर जगह योग को अंतर्मुखता, आत्म-ज्ञान और संतुलन का साधन माना गया है।
स्वास्थ्य और संतुलन की राह
वर्तमान समय में तनाव, अवसाद, उच्च रक्तचाप, मधुमेह जैसे रोगों की जड़ कहीं न कहीं जीवनशैली में असंतुलन है। योग न केवल इन रोगों से राहत देता है, बल्कि रोगों के प्रतिरोध की शक्ति भी बढ़ाता है। प्राणायाम, ध्यान और आसनों के संयोजन से शरीर में ऊर्जा का संचार, मन में एकाग्रता और जीवन में सकारात्मकता का अनुभव होता है।
योग का वैश्विक प्रभाव
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों से जब 2015 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा योग दिवस को वैश्विक मान्यता मिली, तब भारत ने विश्व को फिर से याद दिलाया कि सच्चा समाधान हथियारों में नहीं, साधना में है। आज अमेरिका, जापान, यूरोप से लेकर अफ्रीकी देशों तक योग ने अपनी शांति-संचारक शक्ति से लोगों के जीवन को नई दिशा दी है।
हर दिन योग, हर मन में योग
योग दिवस कोई एक दिन की गतिविधि नहीं, यह 365 दिनों के लिए शरीर और मन की सेवा का व्रत है। यदि हम प्रतिदिन कुछ मिनट भी योग के लिए समर्पित करें, तो न केवल हमारा स्वास्थ्य सुधरेगा, बल्कि हमारा दृष्टिकोण, व्यवहार और निर्णय-क्षमता भी अधिक सशक्त होगी।
आज के यांत्रिक और भागदौड़ भरे युग में योग वह दीपक है, जो तन को स्वस्थ, मन को संतुलित और आत्मा को जागरूक करता है। आइए, हम योग को केवल एक दिन का उत्सव नहीं, जीवन का सतत साधन बनाएं।
“योग कोई प्रदर्शन नहीं, बल्कि आत्मा की गहराई में उतरने की प्रक्रिया है।
जहां हर सांस में स्फूर्ति है, हर क्षण में चेतना है, और हर दिन में संतुलन है।”