Mandana Art : सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है मांडणा कला, प्रचीनकाल में महिलाएं इस कला से बच्चों को देती थी गणित जैसे विषयों की शिक्षा…

भोपाल।मध्य प्रदेश की लोक कला मांड़णा एक कला ही नहीं बल्कि एक सांस्कृतिक धरोहर है। यह कला परम्पारिक शु्द्धता और सात्विकता का प्रतीक है। यह कला केवल कलात्मकता रनात्मकता को ही नहीं दर्शाती बल्कि इस कला के द्वारा धार्मिक आस्था देवी- देवता के चित्रण और ग्रह – नक्षत्र को भी दर्शाया गया है। कहा जाता है पहले के समय में घर की महिलाएं मांडणा
के द्वारा बच्चों को शिक्षा देती थी। मड़णा के द्वारा महिलाएं बच्चों को घर पर गणित, पर्यावरण,भूगोल और अन्य विषयों को पढ़ती थी। इस कला को घरों की दीवारों और आंगन में बनाते है। इस कला की खास बात यह है कि इसे बनाने के लिए अनेक रंगों की जरूरत नहीं पड़ती। यह कला केवल गेरु और चूने से बनाई जाती है जो इस कला को और भी खास बनाती है।
विशेष अवसर पर बनाया जाता है मांड़णा
मांडणा प्राचीन संस्कृति की धरोहर है। पुराने समय में महिलाएं माड़णा को त्यौहारों पर अपने घरों की दीवारों और आंगनों में बनाती थी। गांव में कच्चे घरों में गोबर और पीली मिट्टी से आंगनों और घर की दीवारों लीपा जाता था। और उसके पास चूने और गेरु से माडणा कला से कई डिजाइन बनाती थी। आज भी विशेष अवसरों पर मध्यप्रेदेश में यह माड़णा घर की महिलाओं द्वारा बनाया जाता है। इस आर्ट की एक- एक लाइन और बिंदू का एक विशेष महत्व और अर्थ होता है ।
प्रचीनकाल में महिलाएं माड़णा से घर पर बच्चों को देती थी शिक्षा
मांड़णा आर्ट में कई प्रकार की आकृतियां बनाई जाती है। इसमें “ज्यामितीय” डिजाइन, फूल- पत्ती – पशु -पक्षी , और नक्षत्र चांद-सूरज और देवी – देवताओं के चित्रों की डिजाइन बनाई जाती हैं। कहा जाता है, इन डिजाइन के द्वारा महिलाएं प्रचीन समय में अपने बच्चों को घर पर शिक्षा देती थी।
सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक
मांडणा आर्ट शुभ माना जाता है। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का एहसास होता है। कहा जाता है मालवा के अंचलवासी अपने घर में सुख -समृद्धि, आरोग्यता धन प्राप्ति यश प्राप्ति, को अपने घरों के आंगनों और दीवारों पर बनाते है।