2 October Gandhi Special : गांधी, ये वो नाम है जिनके विचारों ने भारत ही नहीं बल्कि पूरा विश्व को प्रेरित किया ।जी हां ,महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने गांधी जी के बारे में कहा था कि भविष्य की पीढ़ियों को इस बात पर विश्वास करने में मुश्किल होगी कि हाड़-मांस से बना ऐसा कोई व्यक्ति भी कभी धरती पर आया था। जिसने अपने विचारों से पूरी दुनिया में क्रांति ला दी थी । महात्मा गांधी स्वतंत्रता संग्राम का अभिन्न हिस्सा है। उन्होंने अहिंसा की नीति को अपनाकर भारत को स्वतंत्रता दिलाई कई वो खुद तो अंहिसा का मार्ग तो अपनाते ही थे साथ ही दूसरों को भी सत्य अहिंसा का जीवन जीने के लिए प्रेरित करते थे। उन्होंने जितने भी आन्दोलन किए वो सत्य़ अहिंसा के रास्ते पर चलकर किए । बच्चों का भी उनके प्रति प्रेम अलग ही था ,बच्चें प्यार उन्हें बापू बुलाते थे ।साथ ही ,महात्मा गांधी, को राष्ट्रपिता’ भी कहा जाता है, न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व में सत्य, अहिंसा और मानवता के प्रतीक माने जाते हैं। उनके विचार और आदर्श आज भी प्रासंगिक हैं और हमें प्रेरित करते हैं।2 October Gandhi Special
गांधी जी का प्रारंभिक जीवन
2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात में जन्मे मोहनदास करमचंद गांधी ने अपने जीवन के शुरुआती वर्ष साधारण रूप से बिताए। उन्होंने कानून की पढ़ाई लंदन से की और वकालत का अभ्यास दक्षिण अफ्रीका में शुरू किया। दक्षिण अफ्रीका में रहते हुए गांधी जी ने पहली बार नस्लीय भेदभाव का सामना किया, जब उन्हें ट्रेन के प्रथम श्रेणी के डिब्बे से केवल इसलिए बाहर फेंक दिया गया क्योंकि वह भारतीय थे। यह घटना उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई और यहीं से उन्होंने सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष करने का संकल्प लिया।2 October Gandhi Special
गांधी जी के सत्य और अहिंसा के सिद्धांत
गांधी जी ने सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों को अपने जीवन का आधार बनाया। उनका मानना था कि किसी भी समस्या का समाधान हिंसा से नहीं हो सकता, बल्कि सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर ही न्याय प्राप्त किया जा सकता है। इसी सिद्धांत के आधार पर उन्होंने 1915 में भारत लौटकर देश की स्वतंत्रता की लड़ाई में खुद को समर्पित कर दिया।
स्वतंत्रता संग्राम में गांधी की भूमिका
गांधी जी के नेतृत्व में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम एक जन आंदोलन में बदल गया। 1919 में जलियांवाला बाग नरसंहार के बाद गांधी जी ने ‘असहयोग आंदोलन’ की शुरुआत की। इस आंदोलन के तहत लाखों भारतीयों ने ब्रिटिश सरकार का बहिष्कार किया और विदेशी वस्त्रों का त्याग कर खादी पहनने लगे।
1930 में गांधी जी ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ ‘नमक सत्याग्रह’ शुरू किया। यह आंदोलन ब्रिटिश कानूनों के तहत नमक पर लगाए गए कर का विरोध था। गांधी जी ने अपने अनुयायियों के साथ दांडी मार्च करते हुए समुद्र के किनारे से नमक बनाकर ब्रिटिश सरकार को चुनौती दी। इस सत्याग्रह ने पूरी दुनिया का ध्यान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की ओर खींचा।2 October Gandhi Special
गांधी का व्यक्तिगत जीवन
महात्मा गांधी का जीवन अत्यंत सादा और अनुशासन से भरा हुआ था। वह स्वयं साधारण वस्त्र पहनते थे और साधारण आहार का सेवन करते थे। उनका मानना था कि यदि हमें समाज में बदलाव लाना है, तो पहले हमें खुद में बदलाव करना होगा। उन्होंने अपनी दिनचर्या में उपवास और आत्मचिंतन को भी शामिल किया, जिससे उन्हें आत्मिक शक्ति मिली।
अंतिम समय और विरासत
15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी मिली, लेकिन इस आजादी के साथ ही देश का विभाजन भी हुआ। गांधी जी विभाजन के घोर विरोधी थे और उन्होंने दोनों समुदायों के बीच शांति और भाईचारे को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयास किए। 30 जनवरी 1948 को, नाथूराम गोडसे नामक एक व्यक्ति ने गांधी जी की गोली मारकर हत्या कर दी। उनकी मृत्यु ने पूरे देश को शोक में डाल दिया.2 October Gandhi Special