Bhopal: मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल को कुदरत ने बहुत कुछ दिया है भरपूर हरियाली, समतल मैदान, सुंदर सी पहाडियाँ और भोपाल की जीवन धारा बड़ी झील। सुंदर छोटा तालाब का तो कहना ही क्या और यहाँ के पुराने, महल जो अपने इतिहास की कहानी बयां करते हैं उनकी तो बात ही अलग है। भोपाल शहर नवाबों के साथ बेगमों की रियासत भी रहा है।1819 ई. का इतिहास बड़ा ही रोचक रहा है, जिसमें बेगमों द्वारा स्वर्णिम युग की शुरूआत हुई। जहाँ नवाबों की मृत्यु के पश्चात भोपाल की रियासत की बागडोर बेगमों ने संभाली। Bhopal
भोपाल की ऐसी ही एक महिला शासक थीं कुदसिया जहाँ बेगम जिन्हें गौहर बेगम के नाम से भी जाना जाता था। इन्होंने बड़े तालाब के पास एक बड़े महल का निर्माण करवाया जो वर्तमान में गौहर महल के नाम से जाना जाता है। ये महल 1820 ई. में तकरीबन 4.5 एकड़ में बनकर तैयार किया गया था। ये महल नवाबी वास्तुकला और शिल्पकला का एक नायाब उदाहरण है। इसके निर्माण के समय इस बात का खास ख़याल रखा गया कि रात के समय दीयों की रोशनी से पूरा महल जगमगा जाये। Bhopal
जानकारों के अनुसार कुदसिया बेगम का कमरा तो इतना खास था कि खूबसूरत नक्काशी के साथ इसकी दीवारों पर एक चमकीला पदार्थ (अभ्रक) लगाया गया था जिससे मोमबत्तियों की रोशनी में अभ्रक चमक जाया करता था और पूरा कमरा रोशनी से जगमगा उठता था। यहाँ से रात के समय बड़े तालाब का नज़ारा बहुत ही अद्भुत नजर आता है। महल के अंदर तीन बडे़ आँगन हैं। एक आँगन में फव्वारा लगा हुआ है। यहाँ कई बड़े से लकड़ी के दरवाजे हैं जिन पर कांच के टुकड़ों की नक्काशी की गई है। कई बड़े-बड़े कमरे और एक खुला सा हॉल भी है। महल की छत से पूरा तालाब देखा जा सकता है। कहा जाता है यह भोपाल का सबसे पुराना महल है। जो लगभग 200 साल पुराना है हालांकि इस महल का कुछ भाग अब जीर्ण-शीर्ण हो गया है लेकिन सरकार अब इस विरासत को बचाने और इसके पुराने गौरव को बरक़रार रखने प्रयास कर रही है जो आज भोपाल के इतिहास की कहानी बयां करता है।
यह महल भोपाल के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है। इस महल में अब सरकार द्वारा हस्तशिल्प मेले का आयोजन किया जाता है। ताकि ज़्यादा से ज़्यादा लोग यहाँ आएं और भोपाल पर्यटन को बढ़ावा मिले साथ ही इतिहास को भी जान सकें। Bhopal