September 16, 2024

Hartalika Teej 2024 : क्यों मनाते हैं हरतालिका तीज ? जानिए इस व्रत का महत्व और कारण

Hartalika Teej 2024

Hartalika Teej 2024 : हरतालिका तीज, हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है जिसे विशेष रूप से भारत के उत्तर और पश्चिमी हिस्सों में मनाया जाता है। यह पर्व मुख्यतः महिलाओं द्वारा मनाया जाता है और शिव-पार्वती के अद्वितीय प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। हरतालिका तीज का पर्व विशेषकर उन महिलाओं के लिए महत्त्वपूर्ण है जो विवाहित जीवन में सुख, समृद्धि, और संतान प्राप्ति की इच्छा रखती हैं। यह पर्व भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को आता है, जो आमतौर पर अगस्त या सितंबर महीने में पड़ता है।Hartalika Teej 2024

हरतालिका तीज का पौराणिक महत्त्व
हरतालिका तीज का नाम ‘हरत’ और ‘आलिका’ से बना है, जिसका अर्थ है ‘हरण की गई सखी’। पौराणिक कथा के अनुसार, देवी पार्वती ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए कठिन तपस्या की थी। देवी पार्वती के पिता हिमालय ने उनकी इच्छा के विपरीत उनका विवाह भगवान विष्णु से तय कर दिया था। यह जानकर पार्वती की सखी उन्हें हिमालय से दूर जंगल में ले गईं, जहाँ पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए घोर तपस्या की। उनकी कठोर तपस्या और समर्पण से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया।Hartalika Teej 2024
इस प्रकार, हरतालिका तीज का पर्व भगवान शिव और देवी पार्वती के प्रेम और समर्पण की कहानी का प्रतीक है। यह पर्व विशेष रूप से उन महिलाओं द्वारा मनाया जाता है जो अपने वैवाहिक जीवन में सुख, समृद्धि और अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं।Hartalika Teej 2024

व्रत और उपवास का महत्त्व
हरतालिका तीज के दिन महिलाएँ कठिन उपवास रखती हैं। इस दिन व्रती महिलाएँ निर्जला व्रत रखती हैं, अर्थात् वे न तो भोजन ग्रहण करती हैं और न ही पानी पीती हैं। यह व्रत महिलाओं के दृढ़ संकल्प और समर्पण का प्रतीक है, जो वे भगवान शिव और पार्वती की कृपा प्राप्त करने के लिए करती हैं। यह माना जाता है कि इस व्रत को रखने से महिलाओं को अपने वैवाहिक जीवन में सुख, शांति और समृद्धि मिलती है।

व्रत के दौरान, महिलाएँ पारंपरिक परिधानों में सज-धज कर भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करती हैं। वे रात भर जागरण करती हैं और भगवान शिव की कहानियाँ सुनती हैं। पूजा में फल, फूल, धूप, दीप और विभिन्न प्रकार के प्रसाद अर्पित किए जाते हैं। व्रती महिलाएँ देवी पार्वती से अपने पति की लंबी उम्र और वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।

हरतालिका तीज का सांस्कृतिक महत्त्व
हरतालिका तीज न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्त्वपूर्ण है। इस दिन महिलाएँ एकत्र होकर तीज के गीत गाती हैं, नृत्य करती हैं और पारंपरिक वेशभूषा धारण करती हैं। इस पर्व के दौरान सामूहिकता और सामुदायिक भावना का विकास होता है। तीज के गीत और नृत्य स्त्रियों के लिए अपनी भावनाओं और विचारों को व्यक्त करने का एक माध्यम होते हैं।

इस पर्व पर हाथों में मेहंदी लगाना, सोलह श्रृंगार करना, और पारंपरिक साड़ी या लहंगा पहनना इस त्योहार की विशेष पहचान है। महिलाएँ एक-दूसरे को तीज की बधाई देती हैं और अपने परिवार और मित्रों के साथ इस पर्व का आनंद लेती है ।

अन्य देशों में भी मनाया जाता है तीज

आज के समय में हरतालिका तीज का पर्व न केवल भारत में बल्कि नेपाल और अन्य देशों में भी मनाया जाता है। आधुनिक समय में भी, यह पर्व अपनी परंपराओं और सांस्कृतिक महत्त्व को बनाए रखते हुए नए रूपों में ढल रहा है। आज की महिलाएँ इस पर्व को नए अंदाज में मनाती हैं, लेकिन इसका मूल उद्देश्य वही रहता है—पति की लंबी उम्र, वैवाहिक सुख और परिवार की समृद्धि की कामना। Hartalika Teej 2024

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