November 21, 2024

MP News: महिलाएं कहां सुरक्षित हैं?

Female Crime

MP News : सन् 2012 में दिल्ली का निर्भया कैस और फिर एक बार हाल ही हुए दिनांक 08-09 अगस्त 2024 के दरमेयान कोलकत्ता में हुए एक जघन्य अपराध को अन्जाम दिया गया। जिसकी गुथ्थी आज तक भी उलझी हुई है। हम सबको बार-बार शर्मसार कर दने वाली यह घटनाएँ इतनी गन्दी और घिनौनी है कि सोचकर ही लोगों के रौंगटे खड़े हो जाए। सोचकर ताज्जुब होता है जब पुरा देश उस लडकी के साथ हुई वारदात एवं उसके परिवार को इन्साफ दिलाने के लिए अपराधियों को मौत की सजा दिलाने सडको पर उतर आए इतना सब कुछ होने पर भी हमारे भोपाल जैसे शहर में लगातार एक के बाद एक उसी माह में वारदातों को अन्जाम दिया जाता है। कभी छोटी सी 3 साल की नाबालिक बच्ची के साथ स्कुल शिक्षक शोषण करता है तो कभी स्कूल शिक्षक एक 10वीं की छात्रा के साथ गंदा काम करता है लडकी इन्कार करे तो उसको परीक्षा में फैल कर देने की धमकी देता है। लगातार इस लडाई के चलते हाल ही में भोपाल के जहाँगीराबाद में भी बच्चियों के साथ छेड़छाड़ होती है जहाँ भोपाल कलेक्टर को भी भारी भीड में सड़क पर उतरकर लोगों को आश्वासन देने की जरूरत पड जाती है। वारदातें सुलझने के पहले फिर एक वारदात सामने आ जाती है। बच्ची के घर से लापता हो जाने की खबर व उसके अगले दिन उसकी मौत की खबर हमें शर्मसार ही करती है। उसके बाद बैंगलौर में हुई वारदात जिसमें लडकी के साथ सब कुछ करने के बाद उसकी निर्ममता से हत्या करके उसके जिस्म के 50 से भी ज्यादा दुकडे कर उनको फिज में रखा। और न जाने कितनी वारदातें है जो कुछ तो सामने आ जती है और कुछ बदनामी के डर से दबकर रह जाती है। रोज अखबारों में नाबालिक बच्चियों के साथ हो रही वारदातों की हेडलाइन पडकर, बस कुछ दिन बाद वह अखबारों की हेडलाईन ही बनकर रद्दी में चले जाती है।MP News

एक 31 साल की लेडी ड्यूटी डॉक्टर जिसके साथ 5-6 लोगों ने आधी रात को बलात्कार किया और उसके बाद उसकी बैरहमी के साथ हत्या कर दी गई। यह सिर्फ कलकत्ता की ही घटना नहीं आज पुरे देश में छोटी-छोटी सी लडकियों महिलाएं इस हैवानियत का शिकार हो चली है। एक और जहाँ हम डॉक्टर को भगवान का दर्जा देते हैं वह डॉक्टर जो हर जाती हुई सांसो व उसके परिवार को नई जिन्दगी देता है,आज उसी की सांसें छिन ली जाती है, वहां आज उसी जिन्दगी देने वाले भगवान के साथ एक घिनौना खिलवाड ही नहीं बल्कि शर्म से सिर झुक जाए ऐसी ही कहानी हो अंजाम दिया जाता है। उन सब मासूम लडकियों की क्या गलती है?

जब एक घर में बच्ची का जन्म होता है लोग कितनी खुशिया मनाते है कई घरों में तो उसे साक्षात्कार लक्ष्मी का रूप कहकर कन्या पूजा की जाती है। नौरात्र के पावन त्योहारों में घर-घर कन्याओं की पुजा की जाती है। रक्षाबंधन जैसे भाई-बहन के त्यौहार पर वही बहने अपने भाईयों की कलाई पर रेशम का धागा बांधती है। और विश्वास करती है कि वह अपनी बहन की सारी उम्र रक्षा करेगा, और कोई नहीं पर हर मुसीबत में एक भाई बहन के साथ तो होगा। हम कहते है बेटियों के घर में होने से रौनक होती है या बेटियों घर का ताज होती है, बेटियों के लिए हर एक माँ-बॉप उनके उज्जवल भविष्य के लिए क्या कुछ नहीं करते। यहाँ तक के अपनी जीवन भर की सारी जमा पूँजी उनकी पड़ाई लिखाई से लेकर उनकी शादी तक के लिए बिना सोचे समझे जमा कर देते है। उनके पैदा होने से लेकर उनको डोली में बिठाने तक न जाने कितने ख्वाब सजा लेते है, हम चाहते है कि वो पड लिखकर एक कामयाब इन्सान बने, अपने पैरों पर खडे हो, एक डॉक्टर एक इंजीनियर एक आईएस ऑफिसर, कलेक्टर या फिर देश विदेश में नौकरी करें, न जाने कितने सपने कितनी उम्मीदें उस बेटि के साथ जुड जाती है, न जाने कितनी डिग्रीयों वो प्राप्त कर लें पर आज क्या फायदा ऐसी डिग्रीयों का भी जब वो एसी किसी वारदात का शिकर हो। लेकिन तब उस परिवार की क्या हालत होती होगी जब उसे ऐसी किसी घिनौनी वारदान की खबर मिले उन्हें इस बात का तो अन्दाजा ही नहीं होता कि डोली की जगह उन्हें अर्थी उठानी होगी। आखीर क्या कसुर उन सब लडकियों का ये कैसा इन्साफ।MP News

हम सब एक ऐसे देश ऐसे समाज में रहते है जहाँ के सिस्टम में लोगों को ऐसा करने के लिए न तो डर है न पछतावा। रोज रोज दिल दहला देने वाली घटनाओं को अंजाम दिया जाता है और हम सब खामोश अपने घरों में बैठे रहते है। क्यों हम सचेत नहीं हो सकते इन घटनाओं को देखकर? क्यों हम उस वक्त का इंतजार करते है जब यह घटना हमारे साथ या हमारे किसी परिचित या हमारे आस पास घटे। क्यों नहीं हम सब मिलकर सरकार से अपने सिस्टम से एक नए कडे कानून (जो सिर्फ महिला की सुरक्षा के लिए हो) गुहार कर सकते है, जहाँ सिर्फ एक कॉल एक बार में ही शिकायत तुरंत दर्ज हो। शिकायत को टालमटोल या किसी तरह की लापरवाही व विलंब न करते हुए गंभीरता से उसके उपर तुरंत कार्यवाही की जाए। जहाँ इन दरिन्दों को बक्शा भी ना जाए। आज हम सबको एक होकर जागरूप होने की जरूरज है, जहाँ ऐसा करने से लोग एक बार नहीं 10 बार सोचें और डरे। जरूरत है आवाज उठाने की, जरूरत है ऐसी घटनाओं को विराम देने की। जब रावण ने सीता हरण किया लेकिन उसकी मर्जी के बिना उसे छ्या तक नहीं उसने हरण जरूय किया लेकिन सीता जी को कोई परेशानी नहीं होने दी। हर साल उस रावण को सजा के रूप में हम रावण दहन दशहरा के रूप में सारे काम छोडकर एक जगह भारी संख्या में एकसाथ हो रावण का दहन करते है उसी रावण की तरह आज जरूरत है हर उस एक-एक रावण के दहन की जिसकी निगाहो में गंदगी भरी हो।MP News

इसलिए आज जरूरत भी है कि हर स्कूल हर घर में हर बच्चों को चाहे वह लडका हो या लडकी उन्हें अच्छी शिक्षा के साथ अच्छे संस्कार भी दिये जाये और एक नारी का सम्मान करना सिखाया जाये। स्कूलों में अनिवार्य रूप से हर छोटी कक्षा में गुड टच/बैड टच के बारे में सिखाया जाये। हर स्कूल में लडकियों को अपनी खुद की सुरक्षा करने के साथ-साथ ही हर लडकी को जुडो कराटे की भी शिक्षा देना चाहिए, ताकि वक्त आने पर वह खुद की सुरक्षा कर सके। हर परिवार हर स्कूल अपनी जिम्मेदारियों को समझें। स्कूल जहाँ बच्चों का भविष्य बनता है स्कूल के नियम सख्त हो, जहाँ लापरवाही की गुंजाइश ही न हो, ऐसे कर्मचारियों का चयन हो जो अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी समझे, वहाँ के हर एक स्टाफ कर्मचारी चाहे वह शिक्षक हो, ड्रायवर हो, स्कूल का माली या भूत्य सभी का वेरिफेकेशन उसका फैमली बेग्राउण्ड की जाँच हो। एक ड्रायवर भी अगर रखा जाए जो कम से कम 10वीं या 12वी पास हो क्योंकि अनपड व्यक्ति (ड्रायवर) महिलाओं व बच्चों की रक्षा नहीं कर सकता बेरोजगारी के चलते वह ड्रायवरी तो करता है पर समय आने पर दारू जैसे अन्य चिजों का सेवन भी करता है। स्कूल परिसर के सभी हिस्सों जैसे (ऑफिस, क्लासरूम कॉरिडोर वाशरूम एरिया, हॉल, स्कूल कैन्टिन) इसके साथ-साथ स्कूल वैन, स्कूल बस सभी जगह कैमरे हो जो हर समय चालू होने के साथ उसका ऑफिस में समय-समय निरिक्षण हो। बच्चों के वाशरूम के पास बाई या फिर वॉशरूम में एक इमरजेंसी बैल हो। बच्चों को शुरू से ही गलत राह के लिए कानून का डर, कानून के दायरे के बारे में बताया जाये। हमारे देश का कानून इतना सख्त हो कि हर अपराध करने वाले की रूह भी कॉप जाये और कानून का डर सबकी नजरों में हो।

आज हम विदेशों के कानून की प्रशंसा करते है “कि वहाँ का कानून सख्त है” गलत बात के लिए सरे आम उनके हाथ पैर उनका सर भी कलम कर दिया जाता है। अपराध तो अपराध है और कानून कानून है। विदेशों जैसा कानून नहीं पर हम क्यों नहीं ऐसा सिस्टम ऐसा कानून बना सकते हैं जिस पर देश की हर एक महिला को गर्व हो।MP News

लेखक – समीक्षा सक्सेना

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