Agra : शांति और आनंद की खोज ने संगीत को मानव के लिये सुलभ किया : डॉ. मौसमी परिहार

आगरा। संगीत को विश्व के पदार्थों में अभिनवीकरण का श्रेय मिला है। चिरकाल में इसने मानव मस्तिष्क में नवीन रंग भरकर भावनाओं की मधुरिमा की सृष्टि की तथा निराशा के प्रागण में आशा और आनंद के उत्स पैदा कर दिये और कालान्तर में यह विश्व का नैतिक विधान बनकर लोक को दिव्य सौन्दर्य प्रदान करने वाला हुआ। डॉ. मौसमी परिहार, सह आचार्या, हिंदी विभाग पूर्व समन्वयक, प्रवासी भारतीय साहित्य एवं संस्कृति शोध केंद्र रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय भोपाल (म.प्र) ने केंद्रीय भक्ति साहित्य में गीत संगीत की भूमिका विषय पर दो दिवसीय संगोष्ठी में शोध पत्र का वाचन करते हुए अपने विचार रखे।

शोध पत्र के माध्यम से उन्होंने कहा कि शांति और आनंद की खोज ने भी संगीत को मानव के लिये सुलभ किया। संगीत जो सभी भाषाओं में उपलब्ध है। यह वह कला है जिसे प्राप्त करने वाला गुणी और भक्त हो जाता है।
संगोष्ठी का आयोजन केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा में शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार के समन्वय से किया गया। इस दौरान देश के अलग—अलग राज्यों से विद्वानों का आगमन हुआ, जिन्होंने भी अपने शोधपत्रों का वाचन किया।
