
भोपाल। चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को “कामदा एकादशी” कहा जाता है। यह साल की पहली एकादशी होती है, और इसका विशेष महत्व है क्योंकि यह व्यक्ति की सभी शुभ इच्छाओं को पूर्ण करने वाली मानी जाती है। “कामदा” का अर्थ होता है — इच्छा को पूर्ण करने वाली।
इस दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की श्रद्धापूर्वक आराधना करने से न केवल पूर्व जन्मों के दोषों से मुक्ति मिलती है, बल्कि जीवन में सुख-शांति और मोक्ष की प्राप्ति का भी मार्ग प्रशस्त होता है। विशेष रूप से यह व्रत उन लोगों के लिए शुभ फलदायी है जो संतान सुख, वैवाहिक सुख या मानसिक शांति की कामना करते हैं।
पौराणिक कथा
पुराने समय में रत्नपुर नाम की एक नगरी में ललित और ललिता नामक गंधर्व दंपत्ति रहते थे। ललित एक अच्छे गायक थे और राजदरबार में अपनी कला प्रस्तुत करते थे। एक दिन दरबार में गायन के दौरान वे अपनी पत्नी की चिंता में खो गए, जिससे राजा को यह अपमान लगा और उन्होंने क्रोधित होकर ललित को राक्षस बनने का श्राप दे दिया।
अपनी इस स्थिति से दुखी होकर ललिता ऋषि श्रृंगी के पास गईं और उपाय पूछा। ऋषि ने उन्हें चैत्र शुक्ल एकादशी का व्रत करने की सलाह दी। ललिता ने पूरी श्रद्धा से व्रत किया, जिससे भगवान विष्णु प्रसन्न हुए और उन्होंने ललित को श्राप से मुक्ति दिलाई। इस वर्ष कामदा एकादशी का व्रत 8 अप्रैल 2025 को मंगलवार के दिन पड़ रहा है।
व्रत की विधि
प्रातःकाल स्नान करके व्रत का संकल्प लें। भगवान विष्णु की पूजा करें – तुलसी, पीले फूल, दीप-धूप आदि से। दिनभर उपवास रखें – फलाहार या निर्जल व्रत किया जाता है। रात को जागरण करके विष्णु मंत्रों का जप या धार्मिक ग्रंथों का पाठ करें। अगले दिन ब्राह्मण भोजन या दान देकर व्रत का समापन करें।