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सेहत : जानें, कार्डियक अरेस्ट कब आता है ?

अभी हाल ही में कार्डियक अरेस्ट से कांटा लगा गर्ल की मौत हो गई है, जिसके बाद से कार्डियक अरेस्ट को लेकर लोग जागरूक हो रहे हैं। कार्डियक अरेस्ट क्या है चालिए जानते हैं...

भोपाल।आज कल की भाग दौर भारी जिंदगी में खान- पान पर ध्यान न देने के कारण कई प्रकार की बीमारियां शरीर में होने लगी है। कांटा लगा गर्ल सेफाली जारीवाला मौत के बाद कार्डियक अरेस्ट चर्चा में आया है चालिए जानते हैं कार्डियक अरेस्ट कब आता है। कार्डियक अरेस्ट तब होता है जब हृदय की विद्युत प्रणाली में अचानक खराबी आ जाती है, जिससे दिल की धड़कन अनियमित हो जाती है या पूरी तरह से रुक जाती है। इसके परिणामस्वरूप दिल शरीर में रक्त पंप करना बंद कर देता है। इसके कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं

वेंट्रिकुलर फिब्रिलेशन (Ventricular Fibrillation): यह कार्डियक अरेस्ट का सबसे आम कारण है। इस स्थिति में दिल के निचले चैंबर (वेंट्रिकल) में विद्युत आवेग इतने तेजी से और अव्यवस्थित तरीके से उत्पन्न होते हैं कि दिल केवल कांपता है, रक्त पंप नहीं कर पाता।

कोरोनरी धमनी रोग (Coronary Artery Disease – CAD): यह हृदय रोग का सबसे सामान्य प्रकार है, जिसमें धमनियों में प्लाक (वसा और कोलेस्ट्रॉल का जमाव) बन जाता है, जिससे हृदय की मांसपेशियों तक रक्त प्रवाह कम हो जाता है। यदि इसका इलाज न किया जाए तो यह हार्ट फेलियर या एरिथमिया (अनियमित दिल की धड़कन) का कारण बन सकता है, जिससे कार्डियक अरेस्ट हो सकता है।

दिल का दौरा (Heart Attack): जैसा कि पहले बताया गया है, हार्ट अटैक कार्डियक अरेस्ट का कारण बन सकता है। जब हार्ट अटैक होता है, तो हृदय की मांसपेशियों के कुछ हिस्से को नुकसान होता है, जिससे विद्युत संकेत बाधित हो सकते हैं और कार्डियक अरेस्ट का खतरा बढ़ सकता है। दिल के दौरे के बाद बना निशान ऊतक भी असामान्य दिल की धड़कन का कारण बन सकता है।

कार्डियोमायोपैथी (Cardiomyopathy – हृदय की मांसपेशियों का रोग): इसमें हृदय की मांसपेशियां कमजोर, मोटी या कठोर हो जाती हैं। इससे हृदय की रक्त पंप करने की क्षमता प्रभावित होती है और अनियमित धड़कनों का खतरा बढ़ जाता है, जिससे कार्डियक अरेस्ट हो सकता है।

जन्मजात हृदय दोष (Congenital Heart Defects): कुछ लोग हृदय संबंधी समस्याओं के साथ पैदा होते हैं, जैसे हृदय में छेद या हृदय वाल्वों या रक्त वाहिकाओं में समस्या। ये स्थितियाँ कार्डियक अरेस्ट का कारण बन सकती हैं, खासकर बच्चों और युवाओं में।

हृदय वाल्व रोग (Heart Valve Disease): यदि हृदय के वाल्व ठीक से काम नहीं करते (जैसे लीक या संकीर्ण होना), तो हृदय पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जिससे एरिथमिया और कार्डियक अरेस्ट का जोखिम बढ़ जाता है।

इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन: शरीर में पोटेशियम, मैग्नीशियम और कैल्शियम जैसे इलेक्ट्रोलाइट्स का स्तर असामान्य होना हृदय की विद्युत गतिविधि को प्रभावित कर सकता है और अनियमित धड़कनों का कारण बन सकता है, जिससे कार्डियक अरेस्ट हो सकता है।

अन्य कारण

अत्यधिक रक्त की हानि (Major Blood Loss): गंभीर चोट या दुर्घटना में अधिक रक्तस्राव होने से हृदय पर दबाव पड़ता है।

ऑक्सीजन की कमी (Lack of Oxygen): दम घुटने, डूबने या गंभीर फेफड़ों की समस्याओं के कारण शरीर में ऑक्सीजन की गंभीर कमी कार्डियक अरेस्ट का कारण बन सकती है।

नशीली दवाओं का उपयोग: कुछ अवैध ड्रग्स या मनोरंजक दवाओं का उपयोग हृदय की विद्युत प्रणाली को बाधित कर सकता है।

कुछ दवाएं,
कुछ दवाएं विशेष रूप से हृदय रोग के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं भी दुर्लभ मामलों में अनियमित धड़कनें पैदा कर सकती हैं।

विद्युत झटका (Electric Shock): गंभीर बिजली का झटका हृदय की सामान्य विद्युत गतिविधि को बाधित कर सकता है।

कुछ आनुवंशिक स्थितियाँ
कुछ दुर्लभ आनुवंशिक स्थितियाँ, जैसे लॉन्ग क्यूटी सिंड्रोम (Long QT Syndrome) या ब्रुगाडा सिंड्रोम (Brugada Syndrome), अनियमित धड़कनों का कारण बन सकती हैं जिससे कार्डियक अरेस्ट हो सकता है।

अत्यधिक शारीरिक तनाव
अत्यधिक शारीरिक exertion कुछ मामलों में कार्डियक अरेस्ट को ट्रिगर कर सकता है, खासकर यदि अंतर्निहित हृदय समस्या हो।

यह समझना महत्वपूर्ण है कि कार्डियक अरेस्ट अक्सर बिना किसी चेतावनी के होता है, और यह अक्सर उन लोगों में होता है जिन्हें पहले से किसी हृदय रोग का पता नहीं होता है। यही कारण है कि हृदय स्वास्थ्य के लिए नियमित जांच और स्वस्थ जीवनशैली बनाए रखना महत्वपूर्ण है।

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