Independence Day : समर्पित शब्द माँ की आन के लिए ।
गीत लिखूँगा मैं हिन्तुस्तान के लिए ।।
पहला है नमन जिसनें जनम दिया..
दूजा उसको है जिसने पालन किया..
तीजा है प्रणाम अपनी मातृभूमि को..
जिसनें जीनें मरने का चलन दिया..
जियेंगे मरेंगे इसकी शान के लिए ।
गीत लिखूँगा मैं हिन्तुस्तान के लिए ।।
जीवन इस धरती के नाम करता..
बरखा सर्दी गरमी में काम करता..
बेटी कैसे होगी बिदा इस जून में..
दो जून की रोटी मुश्किल जान पड़ता..
लिखूँगा लिखूँगा मैं किसान के लिए ।
गीत लिखूँगा मैं हिन्तुस्तान के लिए ।।
सीमा की सुरक्षा में की जान कुरबां..
सीने ऊपर गोलियों से लिखा हिन्दुस्ताँ..
गीत रक्त से जो तुमनें धरा पे लिखा..
अश्रु भरे नैन से सुनाए आसमां..
मेरे श्रद्धा पुष्प हैं जवान के लिए ।
गीत लिखूँगा मैं हिन्दुस्तान के लिए ।।
इसके जैसी प्यारी तो सुगंध नहीं है..
भारत का भूमि पे पासंग नहीं है..
गुणगान माटी का ना होवे जिसमें..
पूर्ण कोई गीत काई छन्द नहीं है..
शब्द कोष छोटे हैं बयान के लिए ।
गीत लिखूँगा मैं हिन्दुस्तान के लिए ।।
मैं तो अपनी माटी को ही करता प्रणाम..
अल्ला इसमें है और इसमें है राम..
भाई-चारा दुनियां भी सीखे हमसे..
साथ-साथ पढ़ें हम गीता और कुरान..
एक ही मिसाल है जहान के लिए ।
गीत लिखूँगा मैं हिन्दुस्तान के लिए ।।
वर्णन के पार मित्र प्यार इसका..
मेरा रोम रोम कर्ज-दार इसका..
है मेरा प्रयास इसके काम आ सकूँ..
जीवन तन मन है उधार इसका..
कण-कण रक्त बलिदान के लिए ।
गीत लिखूँगा मैं हिन्दुस्तान के लिए ।।
डॉ मेहेन्दले भोपाल