टॉक्सिक मैस्क्यूलिनिटी क्या है? इस से कैसे प्रभावित होती है पुरुषों की मेंटल हेल्थ

आज कल लोग मेन्टल हेल्थ को लेकर काफी चर्चा कर रहे हैं, इसे लेकर जागरुकता बन रहे है और खुल कर बात करना शुरु कर रहे हैं। पर अभी भी कई जगह इस को इंग्नोर किया जाता है। आमतौर पर पुरुषों की मेंटल हेल्थ काफी नंजर अंदाज किया जाता है। और इसके पीछे के का कारण टॉक्सिक मैस्क्यूलिनिटी Toxic Masculinity है।
क्या है टॉक्सिक मैस्क्यूलिनिटी Toxic Masculinity
यह ऐसी विचार धारा है। जो पुरूषों की मेंटल हेल्थ को नजर अंदाज कर ,उन्हें एक ऐसा पुरूष बनने पर मजबूर करती है। जो दूसरों के समाने अपनी प्रोब्लम और दर्द को जाहिर नहीं होने देती। पुरुष को एक ऐसे व्यक्तित्व के रुप में ढलने पर मजबूर करती है। जो उसे मजबूत, निडर, और कठोर पुरुष दिखाए। और इस मानसिका को बढ़वा देने कुछ कहावते भी काफी प्रचिलित है। जैसे की मर्द को दर्द नहीं होता, मर्द कभी रोते नहीं ,अरे लड़की है क्या? यह मानसिकता पुरुषों को अपनी मेंटल हेल्थ को इग्नोर करने पर मजबूर करती है।

रिलेशनशिप में टॉक्सिक मैस्क्यूलिनिटी का असर
रिलेशनशिप में टॉक्सिक मैस्क्यूलिनिटी का प्रभाव पुरुषों पर ही नहीं, बल्कि पुरुषों की महिला साथी पर भी देखने को मिलता है।इसके पीछे का एक ही कारण है कि पुरूष खुलकर अपनी भावनाएं अपने साथी को नहीं बताते और उन से यह उम्मीद रखते ही की वो बिना बताए ही उनकी सारी बाते समझ इस से रिलेशनशिप टूट जाते है।और पुरूष और महिला दोनों का सफर करना पड़ता है।
पुरूषों पर समाज का दबाब
टॉक्सिक मैस्क्यूलिनिटी जैसी विचार धारा के कारण, लड़को को बचपन से ही यह सिखाया जाता है कि उन्हें अपनी भावनाओं को दबाना चाहिए। अगर वे वो किसी बात को लेकर रोते है या परेशान होते है तो कहा जाता है। आदमी ऐसा नहीं करते । जो पुरूष रोता या अपनी फिलिंग को शेयर करता है तो समाज उन्हें कमजोर कहता है इस यह दबाव के कारण कभी भी पुरूष खुलकर रो भी नहीं पाते। इसी कारण Depression, चिंता ,Stress जैसी समस्याओं का समाना करना पड़ता है कभी -कभी तो कुछ लोग Stress बढ़ने से सुसाइट तक कर लेते हैं।टॉक्सिक मैस्क्यूलिनिटी के कारण कई पुरूष परेशान हैं।