वैशाख मास : श्रीकृष्ण के लिए विशेष भक्ति और सेवा

भोपाल।वैशाख मास, जिसमें सूर्य की तपिश और गर्मी बढ़ जाती है, उसमें भगवान श्रीकृष्ण की शीतल, सौम्य और प्रेममयी सेवा करना बहुत फलदायक होता है। यह समय भक्तों को आत्मिक शांति, संतुलन और कृष्णप्रेम की ओर ले जाता है।
ठंडे और मधुर भोग अर्पित करें
गर्मी के मौसम को ध्यान में रखते हुए श्रीकृष्ण को दूध, मक्खन, मिश्री, चावल से बनी खीर, आमरस और मौसमी फलों का भोग लगाएँ। भोग में तुलसी-दल अवश्य शामिल करें, क्योंकि यह उन्हें अत्यंत प्रिय है।
तुलसी की सेवा करें
तुलसी के पौधे में प्रतिदिन जल अर्पित करें और उनके समीप बैठकर “श्रीकृष्णाय नमः” या “गोविंदाय नमः” मंत्र का जप करें। तुलसी पूजा श्रीकृष्ण तक पहुँचने का सरल और सुंदर मार्ग है।
श्रीकृष्ण नाम का जाप
“हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे,
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे” — इस महामंत्र का प्रतिदिन जाप करें। दिन की शुरुआत या रात का शांत समय इसके लिए उत्तम होता है।
एकादशी का व्रत रखें
वैशाख मास की एकादशियों (विशेषकर मोहिनी और अपरा एकादशी) को व्रत और उपवास के साथ श्रीकृष्ण की पूजा करें। इन दिनों श्रीकृष्ण की कथाएँ सुनना और गीता का पाठ करना विशेष पुण्यदायी होता है।
श्रीमद्भागवत और गीता का अध्ययन
इस पावन मास में श्रीकृष्ण की लीलाओं का श्रवण करें — विशेषकर श्रीमद्भागवत के दशम स्कंध से। साथ ही भगवद्गीता के 12वें अध्याय (भक्तियोग) को पढ़ना, भक्ति को और गहराई देता है।
राधा-कृष्ण की सेवा करें
अपने घर में राधा-कृष्ण की मूर्तियों को स्नान कराएँ, इत्र लगाएँ, फूलों और रेशमी वस्त्रों से उन्हें सजाएँ। रात्रि को दीप जलाकर आरती करें और मधुर भजन गाएँ।
दान और करुणा
शुद्ध मन से जरूरतमंदों को जल, फल, चावल, गुड़, पंखा, या वस्त्र आदि दान करें। यह सेवा श्रीकृष्ण की प्रसन्नता का एक सुंदर साधन है।